प्रकाश का विवर्तन - परिभाषा, उदाहरण, प्रकार, प्रश्न And प्रयोग

प्रकाश का विवर्तन - परिभाषा, उदाहरण, प्रकार, प्रश्न And प्रयोग


प्रकाश का विवर्तन (Diffraction of Light) :

विवर्तन वह घटना है जब कोई तरंग (जैसे कि प्रकाश की तरंगें) किसी अवरोधक या छिद्र से गुजरते हुए मुड़ जाती है और अपनी सामान्य दिशा से बाहर फैलने लगती है। यह घटना प्रकाश के तरंग स्वभाव को साबित करती है। विवर्तन की घटना केवल तब ही होती है जब प्रकाश की तरंग दैर्ध्य (wavelength) और छिद्र या अवरोधक का आकार लगभग समान होता है। 

Prakash ka Vivartan (Diffraction of Light):

Vivartan wo ghatna hai jab koi tarang (jaise ki prakash ki tarangen) kisi avrodhak ya chidra se guzarne par mudh jaati hai aur apni aam disha se bahar fail jaati hai. Yeh ghatna prakash ke tarang swabhaav ko sabit karti hai. Vivartan tab hota hai jab prakash ki tarangon ka lambai (wavelength) aur chidra ya avrodhak ka aakar lagbhag saman hota hai.


विवर्तन का परिचय:

विवर्तन एक भौतिक घटना है जिसमें किसी तरंग (जैसे कि प्रकाश, ध्वनि, या पानी की लहर) के रास्ते में कोई अवरोध आने पर, वह अवरोध के चारों ओर फैल जाती है। यह घटना विशेष रूप से तब होती है जब प्रकाश का तरंगदैर्ध्य और अवरोध का आकार लगभग समान होते हैं। विवर्तन यह दिखाता है कि प्रकाश केवल कणों के रूप में नहीं, बल्कि तरंगों के रूप में भी कार्य करता है।

जब प्रकाश किसी संकीर्ण छिद्र या किनारे से गुजरता है, तो वह अपनी सामान्य दिशा से मोड़ कर चारों ओर फैलता है। इसे विवर्तन (Diffraction) कहा जाता है। यह घटना सबसे पहले 1801 में थॉमस यंग द्वारा किए गए प्रयोग में दिखाई दी थी।ववर्तन का कारण:

प्रकाश के विवर्तन का कारण हायगेंस के सिद्धांत (Huygens’ Principle) में छिपा है। हायगेंस ने यह सिद्धांत प्रस्तुत किया था कि प्रत्येक बिंदु जो किसी तरंग की अग्रगामी सीमा पर होता है, वह एक नया तरंग स्रोत बन जाता है और उससे नए तरंगों का निर्माण होता है। जब प्रकाश किसी अवरोधक या छिद्र से गुजरता है, तो वह नई तरंगों का उत्सर्जन करता है जो चारों ओर फैल जाती हैं। यही कारण है कि विवर्तन पैटर्न उत्पन्न होते हैं।

विवर्तन के प्रकार: Types of Diffraction

विवर्तन के दो प्रमुख प्रकार होते हैं:

Fraunhofer Diffraction (यादृच्छिक विवर्तन):

यह वह प्रकार है जिसमें प्रकाश का स्रोत और पर्दा दोनों अनंत दूरी पर होते हैं, यानी दोनों की दूरी बहुत ज्यादा होती है। इस प्रकार के विवर्तन में पैटर्न साधारण और स्पष्ट होते हैं। इसे अधिकतर प्रयोगशाला में देखा जाता है, जहाँ प्रयोगों के लिए प्रकाश का स्रोत और पर्दा स्थिर और दूरी पर होते हैं।

Fresnel Diffraction (यूजुअल विवर्तन):

यह तब होता है जब प्रकाश का स्रोत और पर्दा सीमित दूरी पर होते हैं। इस प्रकार के विवर्तन में पैटर्न अधिक जटिल होते हैं। जब हम किसी छोटे छिद्र या किनारे के पास विवर्तन देखते हैं, तो यह Fresnel प्रकार का विवर्तन होता है। इस प्रकार के विवर्तन का अध्ययन खास परिस्थितियों में किया जाता है।


विवर्तन के सिद्धांत:

प्रकाश की तरंगों के विवर्तन को समझने के लिए हाइगेंस का सिद्धांत (Huygens' Principle) महत्वपूर्ण है। हाइगेंस ने यह बताया था कि हर बिंदु जो एक तरंग की आगे बढ़ती लहर पर होता है, वह नए तरंग उत्सर्जक के रूप में काम करता है। जब प्रकाश किसी छिद्र से गुजरता है या किसी वस्तु से टकराता है, तो ये छोटे उत्सर्जक तरंगों के रूप में आगे फैलने लगते हैं। इसी कारण, प्रकाश की दिशा में बदलाव होता है और वह अपनी सामान्य रेखीय मार्ग से मुड़कर नए क्षेत्रों में फैलता है।


विवर्तन का कारण:

प्रकाश की तरंगों का विवर्तन तब होता है जब:

  • तरंग दैर्ध्य और अवरोधक का आकार लगभग समान होते हैं। अगर छिद्र का आकार बहुत बड़ा या बहुत छोटा हो, तो विवर्तन का प्रभाव नहीं होता।
  • जब प्रकाश किसी किनारे या छिद्र से गुजरता है, तो वह पूरी तरह से मुड़ जाता है और नए स्थानों पर फैलता है।

 विवर्तन का उदाहरण Example of Diffraction

विवर्तन का सबसे आम उदाहरण वह स्थिति है जब कोई प्रकाश स्रोत एक संकीर्ण छिद्र से गुजरता है। जैसे कि जब एक लेजर बीम को एक छोटे छिद्र से गुजरने दिया जाता है, तो उसका प्रकाश छिद्र के चारों ओर फैल जाता है, जिससे एक पैटर्न उत्पन्न होता है। यह पैटर्न आम तौर पर एक हल्का और गहरा क्षेत्र होता है, जिसमें अंधेरे और उजाले के क्षेत्र होते हैं।

संगीत वाद्ययंत्रों में विवर्तन:

संगीत वाद्ययंत्रों, जैसे पियानो या गिटार, की तारों से निकलने वाली ध्वनि तरंगें जब किसी कगार से टकराती हैं, तो वे चारों ओर फैल जाती हैं। इससे ध्वनि का फैलाव और उसकी गूंज बढ़ जाती है, जो विवर्तन की एक और उदाहरण है।

पानी की लहरें:

पानी की लहरों में भी विवर्तन देखा जाता है। जब पानी की लहर किसी दीवार से टकराती है, तो वह दीवार के चारों ओर फैलने लगती है, जिससे विवर्तन का प्रभाव दिखाई देता है।


Young's Double Slit Experiment (यंग का द्वैध-रहित प्रयोग):

प्रकाश के विवर्तन को समझने के लिए थॉमस यंग का प्रयोग बहुत महत्वपूर्ण है। 1801 में यंग ने यह सिद्ध किया था कि प्रकाश केवल कणों के रूप में नहीं, बल्कि तरंगों के रूप में भी कार्य करता है। उन्होंने दो संकीर्ण छिद्रों से गुजरते हुए प्रकाश का अध्ययन किया, और यह देखा कि पर्दे पर विवर्तन का पैटर्न उत्पन्न होता है। यंग के इस प्रयोग ने यह सिद्ध कर दिया कि प्रकाश की तरंग प्रकृति है और दो तरंगों का हस्तक्षेप एक-दूसरे को बढ़ा या घटा सकता है।

यह प्रयोग इस प्रकार था:

  1. यंग ने दो संकीर्ण छिद्रों के बीच प्रकाश की किरण को डाला।
  2. दोनों छिद्रों से गुजरने के बाद, दोनों तरंगे आपस में मिलकर एक साथ इंटरफेयर करती हैं।
  3. यह इंटरफेयरेंस (हस्तक्षेप) पैटर्न पर्दे पर स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। इस पैटर्न में हल्के और गहरे धब्बे दिखाई देते हैं, जो विवर्तन के कारण उत्पन्न होते हैं।

यंग का यह प्रयोग प्रकाश की तरंग प्रकृति को साबित करता है और विवर्तन की घटना को बेहतर तरीके से समझने में मदद करता है।

विवर्तन का प्रभाव और उपयोग:

विवर्तन के कारण उत्पन्न होने वाले पैटर्न को कई तरीकों से उपयोग में लाया जा सकता है। निम्नलिखित उदाहरण इस बात को स्पष्ट करते हैं:

ऑप्टिकल उपकरणों में उपयोग:

विवर्तन का अध्ययन ऑप्टिकल उपकरणों जैसे माइक्रोस्कोप और दूरबीन में किया जाता है। माइक्रोस्कोप में विवर्तन पैटर्न का ध्यान रखते हुए लेंस बनाए जाते हैं, ताकि अधिक स्पष्ट और विस्तृत चित्र प्राप्त किए जा सकें।

स्पेक्ट्रोस्कोप और Diffraction Gratings:

Diffraction Gratings वह उपकरण हैं जिनमें बहुत सारी समान दूरी पर बारीक रेखाएँ होती हैं। जब प्रकाश इन ग्रेटिंग्स से गुजरता है, तो वह विभिन्न दिशाओं में फैलकर विभाजित हो जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न होने वाले पैटर्न से विभिन्न रंगों की पहचान की जा सकती है। इसका उपयोग स्पेक्ट्रोस्कोप्स में किया जाता है, जो विभिन्न तत्वों के स्पेक्ट्रम का अध्ययन करने में मदद करता है।

लेजर बीम और विवर्तन:

लेजर बीम को विवर्तित करके सटीकता से प्रकाश के पैटर्न प्राप्त किए जा सकते हैं। विवर्तन और हस्तक्षेप के सिद्धांत का उपयोग लेजर बीमों के गुणों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। इससे उच्च तकनीकी प्रयोगों में मदद मिलती है, जैसे लेजर इंटरफेरोमेट्री, जो वैज्ञानिक प्रयोगों में बहुत उपयोगी होती है।

विवर्तन और हस्तक्षेप (Interference):

विवर्तन और हस्तक्षेप दोनों ही तरंगों के गुण हैं। जब दो प्रकाश तरंगे एक-दूसरे के साथ मिलती हैं, तो या तो वे एक-दूसरे को जोड़कर तीव्रता बढ़ा देती हैं, या एक-दूसरे को रद्द कर देती हैं। इसे constructive interference (सकारात्मक हस्तक्षेप) और destructive interference (नकारात्मक हस्तक्षेप) कहा जाता है। विवर्तन में इन दोनों प्रकार के हस्तक्षेप का संयोजन होता है, जो अंततः विवर्तन पैटर्न उत्पन्न करता है।

constructive interference kya hota h? Paribhasha 

Constructive interference tab hoti hai jab do ya zyada waves ek doosre ke saath aise milti hain ki unki amplitudes add ho jaati hain, jisse ek badi wave banti hai. Ye tab hota hai jab waves "in phase" hoti hain, yani unke crests (upar waale points) aur troughs (neeche waale points) ek hi time par align karte hain.

Seedha shabdon mein, agar do waves ek doosre ko overlap karti hain aur dono apne maximum positive displacement (ya negative displacement) par hoti hain, toh wo milke ek wave banati hain jiska amplitude zyada hota hai.

Jaise, agar do sound sources aise sound waves generate karte hain jo in phase hoti hain, toh result mein jo sound hoga wo dono sound se zyada loud hoga. Waise hi, light waves mein bhi constructive interference se light bright ho sakti hai.

y_{\text{total}}(x,t) = y_1(x,t) + y_2(x,t)

Yeh phenomenon kaafi important hota hai, jaise speakers, thin films ke interference patterns, aur diffraction gratings mein.


Destructive interference kya hota h? Paribhasha 

Destructive interference tab hoti hai jab do ya zyada waves aise milti hain ki unki amplitudes ek doosre ko cancel kar deti hain, jisse ek chhoti ya zero amplitude ki wave banti hai. Ye tab hota hai jab waves "out of phase" hoti hain, yani ek wave ka crest doosre wave ke trough ke saath align karta hai aur vice versa.

Seedha shabdon mein, agar do waves overlap karti hain aur ek wave apne maximum positive displacement par hoti hai aur doosri wave apne maximum negative displacement par, toh dono waves ek doosre ko cancel kar deti hain, aur result mein ek chhoti ya zero amplitude ki wave banti hai.

Jaise, agar do sound waves aise hoti hain jo out of phase hoti hain, toh dono waves ek doosre ko cancel karengi aur sound kam ho jayega. Light waves mein bhi destructive interference se light dim ho sakti hai, ya kabhi-kabhi bilkul gayab ho jaati hai.

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